Friday, December 05, 2008

आतंकवाद:एक गंभीर चुनौती


आतंकवाद एक अत्यन्त ही गंभीर समस्या है जिससे की आज भारत को लड़ना पड़ रहा है। जेहाद के नाम पर ये दहशतगर्द हमारे देश की शान्ति को भंग करते हैं और मासूम लोगों की जानें लेते हैं। विस्फोट के बाद उड़ता धुआं, शवों के ढेर,बिलखते लोग, मीडिया और पुलिस का हुजूम,ऐसे घ्रणित द्रश्य आयेदिन टेलिविज़न पर देखने को मिल जाते हैं। इन लोगों के निशाने पर कभी दिल्ली, कभी अहमदाबाद, तो कभी मुंबई है। हमारा प्रशासन और हमारी सरकार इन लोगों के आगे बेबस और असहाय नज़र आ रहे हैं। वहीँ दूसरी तरफ़ कुछ नेता अपनी राजनितिक रोटियां भी सेकनें लगते हैं।
पर सवाल ये उठता है की कब तक जीते रहेंगे हम इस आतंक के साए में? कब तक होता रहेगा ये आतंक का नंगा नाच? क्या हमारी सरकार उठाएगी कोई ठोस कदम, इस आतंकवाद से निपटने के लिए?
किंतु क्या केवल सरकार को ही सारा दोष दे देना उचित है?क्या कुछ मंत्रियों के इस्तीफे से ये समस्या हल हो जायेगी?अब लगता है की भारत के हरेक आम नागरिक कमर कस लेनी चाहिए, आतंकवाद से लड़ने के लिए। खासकर हमारे देश के युवा वर्ग को अपनी इस जिम्मेदारी का एहसास हो ही जाना चाहिए। युवा एक देश का भविष्य होते हैं जो देश को एक महाशक्ति के रूप में स्थापित कर सकते हैं।
तो जाग जाओ ऐ भारत के युवा, देश को तुम्हारी ज़रूरत है,
नहीं तो यह आतंकवाद का दीमक देश को चाट जाएगा।